वह एक मजबूत महिला है, जानती है कि अपने आप को कैसे खड़ा करना है, वह पोषण, विनम्र और एक दयालु आत्मा है। उसके पास वह ममता है, जो सबको समझती है। उसकी उपस्थिति क्षतिग्रस्त लोगों के निशान को ठीक करती है।
"हमें ऐसी महिलाओं की आवश्यकता है जो इतनी मजबूत हैं कि वे कोमल हो सकती हैं, इतनी शिक्षित हैं कि वे विनम्र हो सकती हैं, इतनी प्रखर हें कि वे दयालु हो सकती हैं, इतनी भावुक कि वे तर्कसंगत हो सकती हैं और इतनी अनुशासित कि वे स्वतंत्र हो सकती हैं।" - कविता रामदास
मैं यहाँ उन सभी मजबूत महिलाओं के लिए अपने शब्द साझा कर रही हूँ ।
तुम्हारे लिए प्यार ! तुम दुनिया पर राज करो !!
Poem on Women's Strength in Hindi
वो मुस्कुराती है
वो मुस्कुराती है, वो कहते हैं वो हमेशा मुस्कुराती है।
इस जग को वो फुसलाती है न जाने क्या गम छुपाती है,
वो मुस्कुराती है, वो कहते हैं वो हमेशा मुस्कुराती है।
जिस्म को वो अपने कुछ इस कदर छुपाती है,
मेरे छूने पर जैसे सहम सी जाती है,
जिसे वो कुछ हाश्य मय ढंग से जतलाती है
वो मुस्कुराती है वो कहते हैं वो हमेशा मुस्कुराती है |
मुझ से कोई पूछे तो कुदरत को वो दर्शाती है,
हजार जख्म के बाद भी प्यार ही तो वो दिखाती है
उसकी आँखे मानो सब कुछ बयाँ कर जाती हैं|
वो मुस्कुराती है, वो कहते हैं वो हमेशा मुस्कुराती है
अपने दर्द को जाने कहाँ दफ़नाती है।
© निधि नेगी
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(वह मुस्कुराती है Poem on Women's Strength in Hindi) कविता पढ़ने के लिए धन्यवाद मुझे आशा है कि आपको पसंद आयी होगी। कृपया त्रुटियों को खोजने के लिए स्वतंत्र महसूस करें यदि आप इस कविता पसंद आयी हो तो Share , Comment और Subscribe करना न भूलें।
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हम सभी स्वतंत्रता से प्यार करते हैं, यह हर जीवित जीव की स्वाभाविक प्रवृत्ति है, चाहे वह इंसान हो या जानवर।
कोई नहीं, वस्तुतः किसी को भी यह बताया जाना पसंद नहीं है। कि उसे क्या करना है और क्या नहीं। अगर हम करीब से देखें, तो हमारे इतिहास के अधिकांश हिस्से में आजादी के लिए लड़े गए युद्ध शामिल हैं।
हिंदी कविता "पंछी हूँ उड़ना है मुझे" एक लड़की / पक्षी की पीड़ा है, जो मनुष्यों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों में बंद है। कवि रूपक अलंकार के रूप में लड़की को "पिंजरे में पक्षी" के रूप में बताता है, क्योंकि पक्षी पिंजरे में आजादी के लिए तरसता है, और लोहे के पिंजरे के अंदर कैदी की तरह महसूस करता है इसी तरह लड़की भी मनुष्यों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों में बंद है। वे दोनों मुक्त होना चाहते हैं।
Caged bird poem in hindi पंछी हूँ उड़ना है मुझे
पंछी हूँ उड़ना है मुझे!
उस अनंत आकाश को छूना है मुझे!
पंख मिले हैं उड़ने को पिंजरे में नहीं रहना है मुझे!!
ना चाह है तेरे सोने के पिंजरों की!
ना मोह है तेरे खैराति के दानों से मुझे !!
नाप लूँ सारा आसमां अकेले ही में !
संग तेरे ना उड़ना है मुझे !!
सक्षम हूँ घरोंदा बनने में खुदका
तेरे आशियाने मे न रहना है मुझे !!
प्रकृति की ग़ुलाम हूँ ऐ मानव,
उसकी हूँ, उसमें मिलना है मुझे !!
पंछी हूँ में उड़ना है मुझे !!!

पक्षी दर्द में है वह अंतहीन आकाश को छूना चाहता है। जब बाहर अंधेरा होने लगता है, और अंधेरे रात के साथ पूरा पिंजरा भी अंधेरे से छा जाता है तब वह सितारों को देखती है, और उनमें खुद को शामिल हुआ महसूस करती है।
हिंदी पक्षी की कविता "पंछी हूँ उड़ना है मुझे" पशु के प्रति मानव के क्रूर स्वभाव को व्यक्त करती है। यह कविता पसंद आई हो तो अपने विचार एक टिप्पणी अनुभाग में साझा करें, आपकी आवाज़ सुनना पसंद करेंगे।
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He lives as if he is never going to die, and then dies having never really lived -Dali Lama
Life is journey and death is destination. So live this journey to fullest doing what you love the most. So here is what i like to do.
मैं लिखती हूँ
मैं लिखती हूँ मैं लिखती हूँ अ़फसाने कई कुछ सुनाती हूँ अपनी, तो कभी कहानी किसी राहगीर की ।
यूँ तो शिकवा नहीं,जो न समझे कोई
मैं आशा न साथ लिये फिरती हूँ , बस अंतर्मन के अल्फाजों को स्याही में पिरोती हूँ।
मैं लिखती हूँ पहाड़ों को , महक गांव की पास लिए चलती हूँ, महफिलों के शोर नहीं मैं चिड़िया के संगीत में माकूल हूँ ।
मैने परखे हैं चहरे कई मगर गोपनीयता..बरकरार रखती हूँ, मुखौटों की परवाह नहीं मुझे , मैं निगाहों से शख्स की पहचान रखती हूँ।
मैं लिखती हूँ प्रेम को जो सृष्टि का आधार है, वजूद है इन्सानियत का , उस खुदा का श्रृंगार है।
धर्म की मोहताज़ नहीं मैं, वो एक है ये मानती हूँ, जो हो जुल्म दुर्बल पर
उसके सामने स्याही से गरज लेती हूँ ।

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