He lives as if he is never going to die, and then dies having never really lived -Dali Lama
Life is journey and death is destination. So live this journey to fullest doing what you love the most. So here is what i like to do.
मैं लिखती हूँ
मैं लिखती हूँ मैं लिखती हूँ अ़फसाने कई कुछ सुनाती हूँ अपनी, तो कभी कहानी किसी राहगीर की ।
यूँ तो शिकवा नहीं,जो न समझे कोई
मैं आशा न साथ लिये फिरती हूँ , बस अंतर्मन के अल्फाजों को स्याही में पिरोती हूँ।
मैं लिखती हूँ पहाड़ों को , महक गांव की पास लिए चलती हूँ, महफिलों के शोर नहीं मैं चिड़िया के संगीत में माकूल हूँ ।
मैने परखे हैं चहरे कई मगर गोपनीयता..बरकरार रखती हूँ, मुखौटों की परवाह नहीं मुझे , मैं निगाहों से शख्स की पहचान रखती हूँ।
मैं लिखती हूँ प्रेम को जो सृष्टि का आधार है, वजूद है इन्सानियत का , उस खुदा का श्रृंगार है।
धर्म की मोहताज़ नहीं मैं, वो एक है ये मानती हूँ, जो हो जुल्म दुर्बल पर
उसके सामने स्याही से गरज लेती हूँ ।

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